DA Hike 2025: त्योहारों से पहले हर घर में खुशियों की तैयारी शुरू हो जाती है। बाजार की भीड़, मिठाई की खुशबू और बच्चों की फरमाइशें सब मिलकर एक अलग ही माहौल बना देती हैं। लेकिन इस बार केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स के चेहरे पर उदासी साफ देखी जा सकती है। वजह है महंगाई भत्ते का ऐलान टल जाना। 24 सितंबर की कैबिनेट मीटिंग से सबको उम्मीद थी कि राहत की खबर मिलेगी, लेकिन मीटिंग खत्म होने के बाद भी डीए और डीआर को लेकर कोई फैसला सामने नहीं आया। इससे लाखों परिवारों की उम्मीदें अधर में लटक गईं।
कब से अटका है ऐलान
महंगाई भत्ता हर साल दो बार तय होता है। यह पूरी तरह औद्योगिक श्रमिक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI-IW) पर निर्भर करता है। जून 2025 में यह सूचकांक बढ़कर 145 पर पहुंच चुका है। इसके बावजूद जुलाई से लागू होने वाली किस्त का एलान आज तक नहीं किया गया। आमतौर पर सितंबर के आखिरी हफ्ते तक इसकी घोषणा हो जाती थी और अक्टूबर की शुरुआत में बकाया भी मिल जाता था। इस बार की देरी ने कर्मचारियों को और परेशान कर दिया है।
जनवरी की मामूली बढ़ोतरी से गहराया गुस्सा
जनवरी 2025 में सरकार ने केवल 2 प्रतिशत की बढ़ोतरी की थी। उस समय डीए 53 प्रतिशत से बढ़कर 55 प्रतिशत हुआ। यह पिछले सात सालों की सबसे कम बढ़ोतरी मानी गई। ऐसे में कर्मचारियों और पेंशनर्स को उम्मीद थी कि इस बार त्योहारों से पहले अच्छा इजाफा होगा। मगर कैबिनेट मीटिंग के बाद भी कोई निर्णय न होना उनके गुस्से और निराशा को और बढ़ा गया है।
कर्मचारियों और पेंशनर्स की नाराजगी
कन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्मेंट इंप्लॉईज एंड वर्कर्स (CCGEW) ने वित्त मंत्रालय को पत्र लिखकर अपनी चिंता जाहिर की है। महासचिव एसबी यादव ने साफ कहा है कि डीए और बोनस की घोषणा में देरी से लाखों परिवार त्योहारों से पहले दबाव झेल रहे हैं। हर घर का खर्च इन दिनों तेजी से बढ़ जाता है और समय पर राहत न मिलना उनकी जेब पर सीधा असर डाल रहा है।
जेब पर कितना असर पड़ता है
डीए का असर सिर्फ वेतन पर नहीं बल्कि पूरी आय पर दिखता है। मान लीजिए किसी कर्मचारी का मूल वेतन 40,000 रुपये है। अभी डीए 55 प्रतिशत है यानी 22,000 रुपये। अगर इसे 58 प्रतिशत किया जाए तो यह 23,200 रुपये हो जाएगा। यानी हर महीने 1,200 रुपये की अतिरिक्त राशि। इसके साथ ही ट्रैवल अलाउंस और हाउस रेंट अलाउंस भी बढ़ जाते हैं। यही कारण है कि हर कोई इस फैसले का इंतजार करता है।
क्या होता है महंगाई भत्ता
महंगाई भत्ता यानी डीए वह राशि है जो सरकार वेतन में शामिल करती है ताकि बढ़ती कीमतों से कर्मचारियों को कुछ राहत मिल सके। पेंशनर्स को यही फायदा डीआर (Dearness Relief) के रूप में दिया जाता है। इसका मकसद सीधा है, आम परिवारों को महंगाई की मार से बचाना। इसलिए डीए और डीआर की घोषणा हमेशा चर्चा का विषय रहती है।