Sahara India Money Refund: देश के करोड़ों निवेशक जो सालों से अपने पैसों की वापसी का इंतजार कर रहे हैं उनके लिए अब उम्मीद की एक नई किरण नजर आने लगी है। सहारा इंडिया ग्रुप ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी 88 चल और अचल संपत्तियों को बेचने की अनुमति मांगी है। इनमें महाराष्ट्र की एंबी वैली और लखनऊ का सहारा शहर जैसी बड़ी संपत्तियां भी शामिल हैं। इस कदम से निवेशकों को उनका फंसा हुआ पैसा वापस मिलने की उम्मीद जगी है।
सहारा समूह ने क्यों मांगी संपत्तियां बेचने की मंजूरी
सहारा इंडिया कमर्शियल कारपोरेशन लिमिटेड ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है जिसमें कहा गया है कि समूह अपनी 88 संपत्तियों को अदाणी प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड को बेचना चाहता है। सहारा ग्रुप का कहना है कि इससे मिली रकम का उपयोग निवेशकों के बकाया चुकाने और कोर्ट में चल रही अवमानना कार्यवाही को खत्म करने में किया जाएगा।
सहारा समूह की स्थिति अब कैसी है?
सहारा समूह ने कोर्ट को बताया कि साल 2023 में समूह के प्रमुख सुब्रत राय की मृत्यु के बाद निर्णय लेने की प्रक्रिया पर असर पड़ा है। उनके परिवार के सदस्य प्रत्यक्ष रूप से ग्रुप के संचालन में शामिल नहीं हैं लेकिन उन्होंने निवेशकों के हित को ध्यान में रखते हुए संपत्तियों की बिक्री का निर्णय लिया है। समूह का कहना है कि वह अपनी देनदारियां पूरी तरह खत्म करना चाहता है ताकि किसी भी कानूनी विवाद का अंत हो सके।
निवेशकों को कब मिलेगा उनका पैसा
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई की तारीख 14 अक्टूबर 2025 तय की है। अगर कोर्ट से संपत्तियों की बिक्री की मंजूरी मिल जाती है तो सहारा ग्रुप सेबी रिफंड खाते में जमा रकम के जरिए निवेशकों का पैसा लौटाना शुरू कर सकता है। फिलहाल समूह ने बताया है कि उसने अब तक करीब 16000 करोड़ रुपये सेबी के खाते में जमा किए हैं जबकि कोर्ट ने कुल 24030 करोड़ रुपये जमा करने का आदेश दिया था।
निवेशकों के लिए नई उम्मीद की किरण
सहारा इंडिया के करोड़ों निवेशक जो कई सालों से अपने पैसे की वापसी का इंतजार कर रहे हैं उनके लिए यह कदम राहत भरी खबर है। समूह का दावा है कि वह कोर्ट के आदेशों का पालन करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है। अगर अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट से हरी झंडी मिल जाती है तो हो सकता है कि इस साल के अंत तक निवेशकों को उनका पैसा लौटाने की प्रक्रिया शुरू हो जाए।